आज़ादी के सपने में धड़कता एक यथार्थ आज़ादी के सपने में धड़कता एक यथार्थ
पिंजरे मे कैद पंछी, आजाद हो रहा है तजुर्बा लेकर आज आसमान छू रहा है. पिंजरे मे कैद पंछी, आजाद हो रहा है तजुर्बा लेकर आज आसमान छू रहा है.