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Palak Inde

Romance

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Palak Inde

Romance

मेरी किताब

मेरी किताब

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जितनी बार भी तुझको पढ़ने की ,

 समझने की कोशिश की

तू हर बार एक नया पन्ना बनकर

मेरे सामने आ जाता 

मुझे एहसास ही नहीं हुआ 

कि तुझे पढ़ना

कब मेरी आदतों में शुमार हो गया

कब तेरे अल्फ़ाज़ मेरी ज़ुबान बन गए

तेरी लिखी बातें 

मेरे ख्याल बन गए

कि तुझे और तेरी बातों को 

मैं खुद में सहेजने लगी

 कब तेरे नाम के पन्नों को समेटकर

मैं अपनी किताब बनाने लगी

मुझे एहसास ही नहीं हुआ....


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