मेरी गहराइयों को नाप ले
मेरी गहराइयों को नाप ले
मेरी गहराइयों को नाप ले, ऐसी छलांग नहीं बानी,
मेरी उचाँइयों को छू ऐसी उड़ान नहीं बानी !
मैं तो समुंद्र की गहराइयों में अपने सपने देखता हूँ
कोई मुझे मेरे निडर नींद से उठा दे, ऐसी आहट नहीं बानी !
रोज़ाना अपने आप को तोलता हूँ इंसानों के बाजार में ख़ुद को बेचता हूँ,
पर मेरे ईमान को कोई खरीद पाये, ऐसी दुकान नहीं बानी !
मैं भी हँसता हूँ ,रोता हूँ, लड़ता हूँ,रोज़ डरता भी हूँ,
पर कोई मेरे इन भावनाओं को सुकून दे, ऐसी शशि की चांदी रात नहीं बनी !
सोचता हूँ सब कुछ बेच दूँ, अपना ये ज़िस्म, अपनी ये रूह, अपनी ये यादें,
पर मेरे आप को कोई समेट ले, ऐसी ममता की छांव दोबारा नहीं बानी !
मेरी गहराइयों को नाप ले, ऐसी छलांग नहीं बानी !