STORYMIRROR

Suchismita Behera

Abstract

4  

Suchismita Behera

Abstract

मेरे सवाल

मेरे सवाल

1 min
24.5K

लड़की हूं तो जाना पड़ेगा

समाज की निति यही कहती है

उसी समाज से मैं ये पुछती हुं

ये ससुराल होता कैसा है ?


अपने घर को पराया करके

पराये घर को अपना बनाना

कठिनाई कम, दर्द ज्यादा लगता है

ये ससुराल होता कैसा है ?


क्या मां के रूप में, सासू मां को अपना पाऊँगी

प्यार भरी समा क्या मैं बांध पाऊँगी

वहां खिलकर हसना क्या बुरा माना जाता है ?

सच में, ये ससुराल होता कैसा है ?


कभी खाना स्वादिष्ट ना बने

तो क्या बुरी बहू कहलाऊँगी ?

देर से उठना मुमकिन नहीं क्या

अगर कभी जल्दी ना उठ पायुंगी

प्यार भी मिलेगी ना

या बस डांट सुनना पड़ता है

भला, ये ससुराल होता कैसा है ?


ससुराल में प्यार बरसना होता है

सबके मन को संभालना होता है

सबके पसंद को परखना होता है

इतना प्यारा ससुराल होता है।


सासु मां कि उम्मीद होती है

बहुरानी घर की लक्ष्मी होती है

उनकी ज़िम्मेदारीयों की ताकत होती है

एसी प्यारी ससुराल होती है।


बाबा की ये बातें प्यारी

मुझे दिला दी ताक़त सारी

उनकी घर की लाडो रानी

कल बनेगी किसी की बहूरानी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract