मेरे सपनों का यूं बिखरना
मेरे सपनों का यूं बिखरना
मेरे सपनों का यूँ बिखरना,
गुज़रते पल में "मैं" को ढूंढना,
हर बीते हुए लम्हें के साथ,
ख़ुदी का बिखरता चले जाना।
हर बार बिखर के संभलना,
बिखरे ख़्वाबों को पिरो के
एक नया ख़्वाब बनाना,
हर बार एक आस में आँखें खोलना,
हर बार फिर से अंधेरे में गुम हो जाना।
फ़िर एक दिन,
बिना सहारे के खड़े हो जाना।
हां, इन अंधेरों के
उस पार भी एक सवेरा है।
