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Niharika Chaudhary

Abstract

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Niharika Chaudhary

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मेरे सपनों का भारत

मेरे सपनों का भारत

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जहां ना कोई भूख से तड़प रहा हो,

जहां ना कोई बेघर हो,

जहां सबके जीवन में खुशहाली हो,

जहां सब बराबर के हकदार हों,

कुछ ऐसा मेरे सपनों का भारत हो।


जहां हर इंसान में इंसानियत हो,

जितनी अहमियत है इंसान की,

उतनी अहमियत भी हो बेजुबान की

जहां इंसान के साथ साथ बेजुबानों के

बारे में भी सोचा जाए,


जहां उन बेजुबानों के लिए भी

अच्छी सोच हो,

कुछ ऐसा मेरे सपनों का भारत हो।


जहां जितनी सफाई आस पास रहे,

उतना मन भी साफ़ हो,

ना किसी के लिए द्वेष और


जलन की भावना हो,

जहां सबके लिए प्रेम भाव की भावना हो,

जहां ना कोई कीसिका अपमान करे,

जहां सब बराबर के हकदार हो,

कुछ ऐसा मेरे सपनों का भारत हो।


जहां किसी पत्थर की मूर्ति से ज्यादा,

बड़े बुजुर्गों को अहमियत दी जाए,

पत्थर की मूर्ति के वज़ह,बड़े बुजुर्गों की सेवा

और उनका आदर सम्मान किया जाए।


अंध विश्वास से बाहर निकल कर,

जीते जागते लोगों के प्रति प्रेम भावना रखी जाए।

जहां दूसरों को नसीहत देने

से पहले ख़ुद में सुधार हो,

कुछ ऐसा मेरे सपनों का संसार हो।


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