लो आ गई बसंत की बहार
लो आ गई बसंत की बहार
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सबको रहता है जिस ऋतु का इंतजार,
लो आ गई बसंत की बहार,
झूम उठे इंसान और नाच रहे जीव,
तितलियां भी झूम रहीं,
देख खिले फूलों की मुस्कान,
देख खेतों में हरियाली,
झूम उठा हर किसान।
घर घर में हरियाली छाई
हर किसी के चेहरे पर मुस्कान लाई।
लो आ गई बसंत की बहार,
लेकर सबकी मुस्कान।
हर तरफ़ बस हरियाली होगी,
जो मन को बहुत सुकून देगी,
सुंदर सुंदर फूल खिलेंगे,
अपनी खुशबू से पूरा वातावरण महक उठेगा,
लो आ गई बसंत की बाहर,
लेकर ख़ुशी सबके द्वार।।
