मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत
बनेगा ताज धरती का,
मेरे सपनो का ये भारत।
सजेगा आज दुल्हन सा,
मेरे सपनो का ये भारत।।
बनेगा ताज धरती का।
मेरे सपनो का ये भारत।।
बजेगी दुंदुभी नभ में,
सुनाई देगी झंकारे।
गगन पर संग तिरंगे के,
सजेगा वीर सा भारत।।
मिटेगा आज तिरंगे पर।
मेरे सपनो का ये भारत।।
नहीं हैं कोई बुलंदी पर,
छुए वो ज्ञान का अम्बर।
पले ना भेद ह्रदय में,
बने समभाव का दर्पण।।
विषमता में समता भर।
मेरे सपनो का ये भारत।।
खुले जग ज्ञान चक्षु भी,
मिले ज्योति समर्पित मन।
लहू का एक कतरा भी,
गिरे ना व्यर्थ भूमि पर।।
बढाए ज्ञान का परचम।
मेरे सपनो&nb
sp; का ये भारत।।
मुकुट सिर पर शोभित,
सुदर्शन हाथ में मोहित।
धनुष की तान पर गाये,
माँ वीणा के ये सरगम भी।।
बने विद्या यहीं साधन।
मेरे सपनो का ये भारत।।
ह्रदय ना दंभ से दहके,
ना चक्षु नीर से बहते।
कलुष के ताप का तारन,
बने हर भावना पावन।।
मिले समभाव का आदर।
मेरे सपनो का ये भारत।।
विकलता ना रहे मन में,
कुशलता भाव हो मानस।
गुजारिश ईश से मेरी,
मनुज व्याकुल ना हो घायल।।
विश्व ज्योति रहे कायल।
मेरे सपनो का ये भारत।।
जगत सुख भोग से ऊपर,
मिले मन आत्म के सागर।
रहे आनन्द मंदिर में मनुज,
सुख साज का दरपन।।
रहे परबह्म का साधक।
मेरे सपनों का ये भारत।।