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Ravi k.Pandit

Inspirational

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Ravi k.Pandit

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मेरे प्रिय बाबूजी

मेरे प्रिय बाबूजी

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वो विशाल पेड़

जो अक्सर मनुष्य के ह्रदय में पलता हैं

पूरे संसार को समाहित करने के लिये

वो पेड़ ना इस ह्रदय में था ना ही कोई छोटा पौधा


जो समाहित करता इस संसार को

परन्तु आपके जाने से कुछ तो हुआ है

आवाज आयी है मेरे ह्रदय से

शायद शूरूआत हुई है


किसी कपोल के फूटने की 

समय लगेगा इसे विशाल होने मैं

में इसका ख्याल रखूंगा एक शिशु की भांति

जैसे एक माँ खयाल रखती हैं


सिचूंगा इस पौधे को इसकी जड़ों को

नाम दूंगा आपका मेरे प्रिय बाबूजी।


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