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सुना है अकेले में कुछ न कुछ वो आज है बड़बड़ाती।। सुना है अकेले में कुछ न कुछ वो आज है बड़बड़ाती।।
एक मजदूर मजबूर फिर चल दिया एक मजदूर मजबूर फिर चल दिया
निकलता हूँ रोज़ एक ख्वाहिश लिए सत्य की खोज में मैं उसकी तलाश में। निकलता हूँ रोज़ एक ख्वाहिश लिए सत्य की खोज में मैं उसकी तलाश में।
फुट पड़ेंगी नई कोपलें ओर बह चुका होगा जो तुम्हारे भीतर छुपा था।। फुट पड़ेंगी नई कोपलें ओर बह चुका होगा जो तुम्हारे भीतर छुपा था।।
मुसाफिर मैं बन जाऊं तो रास्ता वो बन जाये मुसाफिर मैं बन जाऊं तो रास्ता वो बन जाये
पैर में फफोले हैं चट्टानों से बने अडिग है पहाड़ सा पैर में फफोले हैं चट्टानों से बने अडिग है पहाड़ सा
सिचूंगा इस पौधे को इसकी जड़ों को नाम दूंगा आपका मेरे प्रिय बाबूजी। सिचूंगा इस पौधे को इसकी जड़ों को नाम दूंगा आपका मेरे प्रिय बाबूजी।