मेरे हमसफर
मेरे हमसफर
एक पाती प्रेम की मेरे हमसफ़र,
कुछ अनकही सी मेरे अल्फाज
मेरे वो एहसास, मेरे वो समर्पण
जो मुझमें ही कहीं रह गई है।
मेरे जीवन के हर पहलू में
एक तुम्हारा हक,
मेरी मुस्कुराहट में एक झलक तुम्हारी,
मेरे हृदय के भाव सिर्फ तुमसे ,
मेरे अक्श में परछाईं तुम्हारी
जब भी याद करूं तुम्हें ...
तो महसूस हो जाया करते हो।
मेरा हाथ थामकर,
मेरे इस सफर को हसीन बनाया करते हो,
एक सखा बनकर मेरे हर दर्द को,
अपना कहकर सीने में छुपाया है तुमने,
मेरे मन को स्पर्श कर मुझमें ही समा कर
एक जगह बनाया है तुमने,
बेपनाह मोहब्बत है तुमसे
ये इज़हार करना नहीं आया मुझे कभी,
पर लिखा है मैंने तुम्हें अपने जिंदगी के हर लफ्ज़ में,
मेरे हमसफर अमिट सा स्नेह है तुमसे,
प्रेम से भरा ये मेरा हृदय
तुमसे मिलने को,
एक इंतजार में
घड़ियां गिना करतीं हैं।
दिन की शुरुआत तुम्हारी आवाज से,
कर्ण प्रिय, मेरे अधरों को एक मुस्कान दे जाता है।
एक साया, मुझमें ही कहीं समाया रहता है,
मेरे हमसफर तुम्हारे प्रेम के आगोस में दुनिया को भूल जाती हूँ...
मेरे सफर के रास्तों में,आजीवन साथ तुम्हारा चाहती हूँ।
तुम जो मिले हो जिन्दगी आसान सी लगने लगीं हैं,
कल तक जो रास्ते बोझिल सी खामोश थीं,
वो रास्ते साथ पाकर तुम्हारा, गुनगुनाने लगीं हैं।
हर वो पल खुशनूमा सा है जिसमें तुम पास हो,
मेरी जिन्दगी को मिल रही है मकसद,
जब खुली तुम्हारी बाँह हो,
उनमें मैं भी सिमटना चाहतीं हूँ,
मेरे हमसफर
कदम से कदम मिलाकर साथ चलने की
ख्वाहिशें हैं,
वादे नहीं है कोई,और कोई ना रसमें हैं,
समंदर चाहतों का खत्म ना हो बस यही मेरी आरजू है।
दुआ मे भी यही मांगू हर जन्म में
मेरे हमसफर,मेरे हमराही बनो
और है चाहत बहुत कुछ लिखने को मगर,
अल्फाज मेरे खो से गए हैं,
इस पाती में मेरे हमसफर।