मेरे अभिभावक मेरी प्रेरणा ....
मेरे अभिभावक मेरी प्रेरणा ....
क्या कहूं मैं आपको शब्दों से ये मन रिक्त है
प्रभु कहू मैं आपको भावों में श्रद्धा सिक्त है
आपने जो ज्ञान हमको दे दिया उपहार में
अनुराग ह्रदय अब डूबता है आपके उपकार में
सूर्य के जैसी बिखेरी रश्मि तम में आपने
खुद जले हैं पर हमें रास्ता दिखाया आपने
आपने हमको सिखाया मुश्किलों को झेलना
आपने हमको सिखाया है ख़ुशी से खेलना
आपने हमको सिखाया हम में भी कुछ शक्ति है
ये कलम जो चल रही है आपके प्रति भक्ति है
शब्द मत समझो इन्हें ये हैं मेरी आराधना
आपसे सीखी है मैंने होती है क्या साधना
श्रृंखला शब्दों की ये आस्था का उपहार है
आपको बाँधू ह्रदय से ये मेरा अधिकार है।।