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Shraddhanjali Shukla

Abstract

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Shraddhanjali Shukla

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मेरा वतन

मेरा वतन

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जिस देश का पूत हो,

श्रवण और राम सा,

उस वतन की धूल,

माथे से लगाईये।


जिस देश की नारी हो,

सीता और सावित्री सी,

उस देश की धरती,

चूम जरा जाईये।


जिस देश का संत हो,

 गाँधी,विवेकानंद सा,

उस देश की वायु में,

साँस तो ले आईये।


जिस देश का वीर हो,

भगत, आजाद जैसा,

उस देश की तरफ,

आँख न उठाइए।


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