STORYMIRROR

भाविक भावी

Fantasy Thriller

4  

भाविक भावी

Fantasy Thriller

मेरा पथ

मेरा पथ

1 min
196

मेरा पथ उस बवण्डर में जा चुका है  

जिसमें तुम गुम-सुम सी बैठी हो,  


उस अंधियारे मुख के बाहर रुखसत है  

जिसको तुम कल्पना का नाम देती हो,  


उन सुनसान राहों से गुजरे कैसे, बता दो  

जिस पथ पर हमने-तुमने स्वप्न संजोये हो,  


राह इतनी मुश्किल क्यों कर चली हो  

जैसे तुम रोज मेरा इम्तिहान ले रही हो,  


नादान उन स्वप्न को फिर से संजोने में  

क्यूँ तुम मेरा सुख-चैन ले रही हो


उन हँसी पलों को यूँ तो न ले जाओ  

जिसमें तुम्हारी रूह बसी हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy