STORYMIRROR

भाविक भावी

Inspirational Children

4  

भाविक भावी

Inspirational Children

सूरज पूरब से निकलेगा

सूरज पूरब से निकलेगा

1 min
289

सोचा था सूरज पूरब से निकलेगा

पर वह तो पच्छिम से निकल गया,


सोचा संध्या के बाद रात आयेगी

पर रात पहले बात निकल आयी,


धीमे-धीमे तारे निकले, पर थी अँधेरी रात

न बात थी न रात थी, पर वो करामात थी,


सोचा चिड़िया चहकेगी, कलियाँ महकेगी

चहकी चिड़िया, महकी कलियां भी रात में,


सोचा पूरब से फिर निकलेगा सूरज

क्रांति की एक नयी सुबह भी होगी ,

फिर वही एक बात (उमंग) होगी


लो बात गयी, लो रात गयी

फिर सबेरे लाल चुनरी छा गयी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational