मेरा फूल
मेरा फूल
मेरी हर गम के शूल का वो है फूल
बिना उसके ये जिंदगी है फिजूल
वो कहे तो हंसते हंसते ज़हर पी लूं
मेरे गम के दरिया का वो है पूल
उसे हरपल ही दिल मे देखता रहूं,
उसे देखते देखते ही मौत हो जाये
बस यही है मेरा आखरी वसूल
मेरी निगाह में सदा बस
उसका ही अक्स हो,
फ़िर तो इस साखी को ,
मौत का आईना भी है क़बूल
दिल से विजय
