मेरा मजहब
मेरा मजहब
मेरा मजहब मेरा ईमान हैं मेरी इबादत ये हिंदुस्तान है,
ईद भी मेरी दीवाली भी मेरी गीता भी मेरी मेरा कुरान है।
कुर्बान जो खाके वतन पे हो जाऊं तिरंगे में लिपटना ही मेरी शान है,
हिंदी उर्दू बहनें बहनें हैं हिन्द की हिन्दू भी मेरा मेरा मुसलमान है।
मत बांटो आपस में हिंसा रहने दो इंसा हो दिल के इंसा को रहने दो,
गंगी जमुनी तहजीब रहे हर दिल में प्रार्थना भी मेरी और मेरा अजान है।
मानवता करुणा और सद्भाव बाते हैं यही हर धर्म कहे
अपने दिल में संजोकर रक्खे दया व प्रेम वही इंसान है।
धरती भी वही आकाश वही सूरज भी वही है चाँद वही
मरने पर कफ़न भी एक ही है अल्लाह भी मेरा मेरा भगवान है !