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Ayush Sharma

Romance

3  

Ayush Sharma

Romance

मेरा खत तेरी आख़िरी नज़्म

मेरा खत तेरी आख़िरी नज़्म

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तुम जो चली गई हो अब,

हर दिन तुम्हारा वहीं इतंजार करता हूं

जहां पहली बार मिले थे हम,


जब भी तुम्हे छूने का दिल करता है।

शिउली के फूलों की खुशबू में हमारी

वो पहली मुलाकात महसूस कर लेता हूं,


जब भी तुम्हे देखने का दिल करता है,

उसी स्टोर रूम में बैठ के रो लेता हूं जहां

हम चुपके से मिलते थे,


जब बात तुमसे करनी होती है,

तुम्हारा हर लेख १०० दफा पढ़ लेता हूं,


जब भी आंखें नाम होती है

तुम्हारी बेजी सिलवटों से भरी 

उस साड़ी को हर बार आंसुओ से भीगो देता हूं,


बसा लिया तुम्हे मैंने अपनी हर सांस में 

तुम्हारी लिखी हर नज़्म को मैंने याद कर के,


महसूस कर रहा हूं तुम्हारी मोजुदगी को 

तुम्हारे हर रूप को जेहन में बसा कर,


तुम्हारी हर हरकत को देख रहा हूं,

होंठो को सिए बस आगे बढ़ रहा हूं,


 तुम्हे सीने से लगाना ही अब मेरी मंज़िल है,

 बस उस रास्ते की तलाश कर रहा हूं,


तुम्हारी हर चीज मैंने संभाली है,

जो तू ना आस के अब लौट के पास मेरे,

तो मैने तेरे पास आने की ज़िद ठानी है। 



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