मेरा अख्तियार
मेरा अख्तियार


तेरी रूह पे है
सिर्फ मेरा अख्तियार!
तेरे बारे मैं पढ़ा था जिसमें
क्या यह वोही है अखबार?
पता नहीं तुझे
हम दोनों है इकसार !
हमें जुदा कर ने की कोशिश करने
वाला, यह वो ही है यारमार!
कुछ दिल की सुने बिना
चलता ही जाए
यही है वह यथेच्छाचार!
वह बना है आज मेरे
अल्फाजों का मुख़्तार