फिरा करे
फिरा करे
एक ही अब आरज़ू रहे
की तेरा खत यूँ ही घूमता फिरे
खुद को कैसे छुपाऊ
खुदा भी जुबान लिए फिरे
कमबख्त रहे गर तू हाजिर
तेरे लम्हों को साथ लिए फिरे
अल्फ़ाज़ कुछ गीले गीले
तेरा हुस्न पन लिए फिरे
कोहरा सा छाया हुआ हर तरफ
परछाई मेरी न जाने कहाँ कहाँ फिरे
बरसातो की रुत जवान यूँ ही रहे
कुछ पल, हवा न जाने तूफान बन फिरे
हैसियत तेरी सुन की, मानो
मेरी खैरियत बेजुबान बन फिरे
लम्हे आज थम से गए की
हर पल उसे बिठाए फिरे
कोई भाषण के जरिए रोटी देना चाहे
वहाँ वह आंसू बहाए फिरे
कोई अच्छे से वहाँ सो रहा है,
तो यहां कोई जादू लिए फिरे
किसी को खूब नसीब हुआ ज़िन्दगी मैं
कोई उस पाने, बंदगी किए फिरे।