मेरा आईना पूछता है
मेरा आईना पूछता है
उदास चेहरा से मेरा आईना पूछता है
आखिर तुझमें बची मुस्कान कितनी हैं
जिसके लिए जीता है वो तो चले गए
जरा बता तुझ में अब जान कितनी है
थोड़ा-थोड़ा करते-करते जिंदगी भर
तूने खुद को जानबूझकर लुटा डाला
पहचान वालों को अपनीं पहचान देके
तूने अपना अस्तित्व ही मिटा डाला
खून के रिश्ते भी तुझे पहचानते नहीं
सोच अब तेरी पहचान कितनी हैं
तू जिंदा तो है पर ये भी बता दे कि
तुझ में बचीं अब जान कितनी है
एक और आयीं थी ना तेरी जिंदगी में
कहाँ है वो जिस पर तू भी कुर्बान था
इसी आईने में देखा था तुम दोनों को
कहती थी कि तू भी उसकी जान था
तो अब बता जरा उसका क्या हुआ
क्योंकि तू भी उसी के लिए जीता था
जिसके साथ बड़ी बड़ी कसमें खाकर
तू हर खुशी और गम को पीता था
चल ये भी बता दे अब कि,
तूझे जान कहने वाली बेईमान कितनी है
जरा बता तुझ में अब जान कितनी है
कहां मैंने आईने से कि क्या कहूं
तूने मेरे हर संघर्ष को देखा है
आईने ने कहा कि पता है मुझे
तुझ में अब जीने की भी चाह नहीं
मैंने बेजान मुर्दे को जीते देखा है।
