मेल दिलों का
मेल दिलों का
मेल दिलों का ::
रेत का घरौंदा गर लहर से मिट जाए तो क्या
लोग सपनों के महल बनाना नहीं छोड़ देते..
दुनियां लाख करे कोशिश दिलों को तोड़ने की
डोर जो बंध जाए प्रीत की रीत से ...
उसे अच्छे अच्छे नहीं तोड़ सकते
मन कर्म वचन जब मिल जाए तो धर्म बन जाता है
मन मंदिर प्रवेश से कोई संत पुजारी नहीं रोक सकते,
क्या धर्म क्या जाति की दीवार क्या रेखा बीच की
कोई ऊंच नीच नहीं यहां बस प्रीत के पंछी हैं
एक उंगली से मिट जाती है दीवार बड़ी बड़ी
सच्चा प्यार करने वालों को खुदा भी रोक नहीं सकते,
प्यार बस मन देखता है और कुछ नहीं
उम्र, धर्म, जात पात रंग सब पीछे छूटे हैं
फूल पर भंवरा देखो कैसे स्नेह से जुड़े हैं
उमंग भरे दिल मचलने से रुक नहीं सकते,
रेत का घरौंदा गर लहर से मिट जाए भी तो क्या
लोग सपनों के महल बनाना नहीं छोड़ देते।
