Vaishnavi Mohan Puranik
Children
गाँव में एक मदारी आया
संग अपने बंदर वो लाया
बंदर ने नाच तमाशा दिखाया
उछल कूद कर सबको हंसाया
इधर उधर चहका फुदका
कभी सीधा खड़ा कभी लुढ़का
सबके मन को खूब भाया
मदारी संग ऐसा बंदर लाया।
कुछ पल का जीव...
घनाक्षरी
वीर तुम बढ़े ...
तेरे बिना मैं...
छूटे ना साथ य...
देखो हमारा नव...
कामयाबी की यह...
लड़कियां
भगवान परशुराम
तुम्हारी याद ...
अब एक टिस सी है बस जो माँ की यादें बन चुभती हैं। अब एक टिस सी है बस जो माँ की यादें बन चुभती हैं।
दादी सुनाने को कहानी कहती है पर बच्चे अब बैठने पास नहीं आते दादी सुनाने को कहानी कहती है पर बच्चे अब बैठने पास नहीं आते
चार बच्चे, बहुत छोटे, जिनके मां बाप, सुनामी निगल गया। चार बच्चे, बहुत छोटे, जिनके मां बाप, सुनामी निगल गया।
वो थी सब उसकी याद में पत्ते घुमाकर देखा तो उसमें वो थी सब उसकी याद में पत्ते घुमाकर देखा तो उसमें
सारा हाल प्रभु चरणों में जाकर, साफ-साफ बतलाया था सारा हाल प्रभु चरणों में जाकर, साफ-साफ बतलाया था
बचपन नाम है मौज मस्ती का बेपरवाह हो इधर ऊधर घूमने का। बचपन नाम है मौज मस्ती का बेपरवाह हो इधर ऊधर घूमने का।
चांद तुम्हारे नखरे अनोखे कितने तुम इतराते हो। चांद तुम्हारे नखरे अनोखे कितने तुम इतराते हो।
बच्चों को अपनी उम्र से जोड़ना नहीं, उन्हें किसी बंधन में बांधना नहीं बच्चों को अपनी उम्र से जोड़ना नहीं, उन्हें किसी बंधन में बांध...
आज अनायस ही बचपन यादें आँखो में उभर आई। आज अनायस ही बचपन यादें आँखो में उभर आई।
ये देश हमारा है धरती माँ अपनी है , कचरा हो कम, जिम्मेदारी सबकी है। ये देश हमारा है धरती माँ अपनी है , कचरा हो कम, जिम्मेदारी सबकी है।
आख़िरी सांस तक अपनी ईमानदारी पर ही रहे अड़े। आख़िरी सांस तक अपनी ईमानदारी पर ही रहे अड़े।
आज सुनाता हूं मैं ,पेड़ की एक कहानी। छोटी सी, प्यारी सी, थी एक बिज रानी। आज सुनाता हूं मैं ,पेड़ की एक कहानी। छोटी सी, प्यारी सी, थी एक बिज रानी।
बस एकांत में स्वयं से साक्षात्कार करना ... तुम्हें अंधकार में प्रकाशपुंज नज़र आएगी। बस एकांत में स्वयं से साक्षात्कार करना ... तुम्हें अंधकार में प्रकाशप...
एक रानी की कहानी देखो है पुरानी राजा का राज्य छिन गया अलग हो गए राजा रानी। एक रानी की कहानी देखो है पुरानी राजा का राज्य छिन गया अलग हो गए राजा...
सेहतमंद आहार वो खाती मिठाई उनको ज़रा न भाती सेहतमंद आहार वो खाती मिठाई उनको ज़रा न भाती
पूरी कोशिश के बाद भी इस धरती पे रह न पाए पूरी कोशिश के बाद भी इस धरती पे रह न पाए
बिखरा किरणें आशा की निकलता पल-पल जलने को! ढ़लने को! बिखरा किरणें आशा की निकलता पल-पल जलने को! ढ़लने को!
पुण्य धरा सब को ध्यान धरे अहंकार का हम सब त्याग करें पुण्य धरा सब को ध्यान धरे अहंकार का हम सब त्याग करें
अपना काम स्वयं ही करते थे, न थी किसी की आस। अपना काम स्वयं ही करते थे, न थी किसी की आस।
भोर भये उठ सबसे पहले , नव किरण संग तुम आती हो। भोर भये उठ सबसे पहले , नव किरण संग तुम आती हो।