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Bikramjit Sen

Abstract

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Bikramjit Sen

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मौत

मौत

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गम का बादल ओढ़ के

वो खड़ा था

मैं नादान कहाँ 

समझ पाता

ओढ़ा  दिया उसने मुझे 

कफ़न में गाड़ दिया 

उसने मुझे  

मौत यूँ ही नहीं आती सबको 

कभी बैठे हो मौत के इंतज़ार में 

कभी किया है बातें मौत से

गिरे, बरसों उसके प्यार में. 

 


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