मौत के दरवाज़े पर
मौत के दरवाज़े पर
मौत के दरवाज़े पर एक कमल खिला,
देखूँ तो ज़रा उनकी दस्तक़ हुई क्या !
हमारे घोंसले की चिड़िया फिर आज रोयीं,
लगता हैं फिर इश्क़ में सियासत हुई क्या !
एक वक़्क़त में बहुत राज दफ़न हुए,
कोई तारा फिर आज ध्रुव हुई क्या !
फ़रिश्ते मेरे दिल में फ़िर आज बैठे,
उनकी मोहब्बत फ़िर झील हुई क्या !
आँखों में उनकी फ़िर आज बैचैनी देखा,
देखूँ ज़रा मेरे इश्क़ में वह सरित हुई क्या।