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मौन.....

मौन.....

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यह आवश्यक नहीं
कि हर रोज कुछ लिखा जाये,
यह भी नहीं
कि हर बात पर रखी जाये अपनी बात...
आवश्यक यह भी नहीं
कि हर बार शब्दों को शब्दों से ही तोड़ा जाये,
या फिर किनारों को पुलों से ही जोड़ा जाये.....

अक्सर,
जब मै प्रेम मे होता हूँ,
जब मै पीड़ा मे होता हूँ,
मै मौन होता हूँ..
पर कभी कभी,
जब मेरा प्रतिरोध शीर्ष पर होता है,
तब.. मेरा मौन अधिक मुखर होता है ।

हाँ.. मै जानता हूँ
एक दिन मेरा मौन
तुम्हारे क्रोध -
तुम्हारी नफरत -
तुम्हारे प्रतिशोध को
ख़ामोशी से तोड़ देगा ।।



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