मौला मेरे
मौला मेरे
अहमियत दिखा दे रहमत तेरी करदे
ख़्वाब बोज़ बन गए
अब आँखे नम ही रहती है
यह कैसा ऐब इन्तज़ार है
तुम्हीं बटाओ ये बोज कैसे उतारु
अब ख़्वाब बोज़ बन गए
सुकून किसी क़ो नहीं कहीं है
अक्सर बातें भी तो होती ही है
फिर तो बताओ ये ख़्वाब कैसे सजाऊँ
अब ख़्वाब बोज़ बन गए
फूलोंकी बरसात चमनने की है
रोमीओ जूलीएट खो गयें है
मज़े से धरती से दूर आसमाँ पे बिठाऊँ
अब ख़्वाब बोज़ बन गए
हिम्मत है तो करले मुक़ाबला चरण पकड़े रोयें
घर में चीजें रह जाती है अब लोग नहीं रहते
ख़्वाब टूट कर बिखर पड़े कोरोना को भगाऊँ
अब इतना तो करोगे ये बोझ हटाओ।
