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Dr Baman Chandra Dixit

Abstract

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Dr Baman Chandra Dixit

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मैने सोचा था

मैने सोचा था

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आज पूछूंगा आपसे मैंने सोच था 

आप बोल ही दिये जो मैंने सोचा था।।


कब तक झूट बोलेंगे सच की तरह

सच बोल ही देंगे आज मैंने सोचा था।।


छिपाते हैं रोज़ दिखाने की तरह

आज चूकेंगे ज़रूर मैंने सोचा था।।


हाथ बढ़ाया था आपको उठाने के लिये

मुझे ही गिरा देंगे आप मैंने सोचा था।।


शायद संभल न सकूं गिरने के बाद

गिरना मंजूर नहीँ मुझे ,मैंने सोचा था।।


होना था जो वो तो हो चुका है बामन

फ़ायदा क्या सोचकर मैंने सोचा था।

    



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