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Tanha Shayar Hu Yash

Abstract

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Tanha Shayar Hu Yash

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मैं तो मुसाफिर हूँ

मैं तो मुसाफिर हूँ

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मैं तो मुसाफिर हूँ तेरी राहों का

तू कहेगा तो फिर लौट कर आऊंगा।  

तू कहेगा तो शहर लाऊंगा 

तू कहेगा तो ठहर जाऊंगा।

 

मेरे खुद के तराने नहीं कोई

मैं तो बीते पलों से लेकर ही आऊंगा। 

तू कहेगा तो ग़ज़ल बन जाऊंगा

तू कहेगा तो नज़्म में ढल जाऊंगा। 


मैं तो मुसाफिर हूँ तेरी राहों का

तू कहेगा तो फिर लौट कर आऊंगा।  


मेरे बहते अफसोस में मत बह

मैं बहकर भी फिर यही आऊंगा

तू कहेगा तो लहरों के संग निकल जाऊंगा। 

तू कहेगा तो किनारों से लिपट जाऊंगा।  


मैं तो मुसाफिर हूँ तेरी राहों का

तू कहेगा तो फिर लौट कर आऊंगा।  


हर शाम मेरी रूह को 

बन्धन से घेर लेती है तू

तू कहेगा तो इसमें बंध जाऊंगा

तू कहेगा तो आज़ाद तन्हा ही उड़ जाऊंगा।    


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