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Anand Barotia

Abstract Drama Tragedy

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Anand Barotia

Abstract Drama Tragedy

मैं प्रेत

मैं प्रेत

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कभी कभी...प्रेत लगता हूँ मैं खुद को

अंधेरे में डूबे किसी खंडहर की

टूटी दीवार से निकल आई

बरगद की इक डाल पे

अकेला उल्टा लटका ज़ालिम,

जो खुद ही खुद को फाड़ के खा जाए

जो खुद के सामने आ जाये,

बहुत डर लगता है मुझे सच-मुच,

खुद से बहुत डर लगता है ।।


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