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Anand Barotia

Abstract

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Anand Barotia

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रौशनी की राख़

रौशनी की राख़

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रौशनी... यूँ ही नहीं फैलती इस दुनिया में

हर बार कोई उसे फैलाता है 

हम इस बात का दावा कर सकते है क्यूंकि हमने देखा है

हर बार कोई जलता है और राख छोड़ जाता है.


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