मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
मैं हर वृक्ष की जड़ हूँ
व्यक्ति के व्यक्तित्व की पकड़ हूँ
मैं रानी हूँ, सेविका हूँ
कहानी हूँ, लेखिका हूँ।
मैं रोते हुए को हँसाती हूँ
तुम्हें जीना सिखाती हूँ
तुम तो असहाय आते हो
मैं ही तुम्हें सृष्टि दिखाती हूँ।
मैं आसान हूँ और मुश्किल भी
नर्तकी हूँ मैं और महफ़िल भी
मैं ही सफर हूँ और मंजिल भी
भंवर भी हूँ और साहिल भी।
मैं सपनों की उड़ान हूँ
और सफलता की ऊंचाई भी
खिलखिलाती हँसी हूँ मैं
और तड़पाती तन्हाई भी
मुझे आँकना कठिन है
मैं ही तुम हूँ और तुम्हारी परछाई भी।
कहाँ तक नज़रअंदाज करोगे
मैं स्वयं को पहचान चुकी हूँ
तुम्हारे हर कदम से कदम मिला चुकी हूँ
हाँ - मैं जाग चुकी हूँ।
मैं ईश्वर की आभारी हूँ
अंधकार से प्रकाश तक
हर मनुष्य की सवारी हूँ
संगिनी हूँ, बेटी हूँ, पत्नी हूँ
बहन हूँ, माँ हूँ
हाँ - मैं खुश हूँ
"मैं नारी हूँ !"