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Indar Ramchandani

Inspirational

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Indar Ramchandani

Inspirational

मैं इंसान हूँ...

मैं इंसान हूँ...

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कौन कहता है मैं क़ैद हूँ?

मैं क़ैद नहीं, मुस्तैद हूँ,

भीड़ से अलग हूँ

मैं सजग हूँ

बाहर की दुनिया से दूर हुआ हूँ

मगर अपनों के बीच लौट आया हूँ,

घर के बाहर तांक नहीं सकता,

तभी अपने भीतर झाँक पाया हूँ

कि मैं … आज़ाद हूँ,

बंदिशों से, दीवारों से

सोमवार और शनिवारों से,

हिन्दू-मुस्लिम के विवादों से

दकियानूसी संवादों से,

मैं आज़ाद हूँ,मैं आबाद हूँ

जानता हूँ, मुश्किल घड़ी है,

घर के बाहर मौत खड़ी है

पर जब रात घनघोर होती है,

कुछ क्षण बाद ही भोर होती है

कार्तिक की अमावस् में ही

दीवाली चारों और होती है,

ये रात भी ढल जायेगी

वो सुबह जल्द आएगी,

महामारी का ना निशाँ होगा

और फिर खुशहाली छाएगी,

मैं आशावान हूँ,मैं अवाम हूँ

मैं हिंदुस्तान हूँ, मैं इंसान हूँ।


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