मैं अकेला ही ठीक हूँ
मैं अकेला ही ठीक हूँ
थोड़ा सा बददिमाग,
थोड़ा सा बद्तमीज़ हूँ,
किसी के लिए चिड़चिड़ा,
तो किसी के लिए ढीठ हूँ,
मैं अकेला ही ठीक हूँ।
रोज़ मिलते तो हो मगर,
कितना जानते हो मुझे ?
बात सुनते तो हो मगर,
कितना मानते हो मुझे ?
एक धुंधली सी याद बनकर
मष्तिष्क से गुजर जाऊँगा,
दो पल में भुला दोगे मुझे,
जिस दिन भी मर जाऊँगा,
आरज़ू नहीं अमरता की मुझे,
मैं गुमनामियों में शरीक हूँ,
मैं अकेला ही ठीक हूँ
मैं अकेला ही ठीक हूँ।