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Indar Ramchandani

Abstract

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Indar Ramchandani

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सनक...

सनक...

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ये जो सनक कभी मुझपे सवार होती है,

वो भी क्या कमाल होती है...!


उसे मुश्किल है शब्दों में बयाँ करना,

वो अभूतपूर्व और बेमिसाल होती है।


शायद तभी उसे 'सनक' कहतें हैं।

सारी उपलब्धियों का जनक कहतें हैं।


ये सनक जुनून भी है,

और सुकून भी।


ये हद पार भी कराती है,

या ख़ाक में मिलाती है।


सनक जीवन सँवार देती है,

या सबकुछ उजाड़ देती है।


सनक उन्माद भी मचाती है,

पर आज़ाद भी कराती है।


सनक ताकत भी दिलाती है,

पर आफ़त भी बुलाती है।


पर वो लोग विरले ही होते हैं,

जिनपे ये सवार होती है।


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