मैं हूँ नारी
मैं हूँ नारी
नहीं है डर हमें तो घर मजा सबको चखाती हूँ,
यही वो पल हँसा जीना खुशी से रह बताती हूँ ।
बनी बेटी, कभी बन माँ, ननद-भाभी निभाई हूँ,
गिला शिकवा कहाँ मन नेह सुरमा सा सजाई हूँ ।
रखूँ मैं थाम बाँहें भूल कोई टूट गर जाये,
कभी गिरने नहीं देती बहुत दे प्यार समझाये।
सिखाना काम है अपना बढ़ाना काम है अपना,
अगर पूजा इसे माने नयी मंजिल नहीं सपना।
जिगर फ़ौलाद नारी की समझ कमजोर मत मुझको,
उड़ा दूँ धूल सा चाहूँ कहो अवतार ही मुझको।
कई है रूप मेरे जान कोमल मन कहूँ मेरा,
नजर से गिर गया मैंने नहीं फिर मुँह उधर फेरा।
