वसंत ऋतु का आगमन
वसंत ऋतु का आगमन
बता पतझड़ हमें चाहे,
यहाँ क्यों फूल सारे अब।
नयन तारा बना रख ले,
रहूँगी मैं तुम्हारी अब॥
नहीं सावन अभी भादो,
खिले हैं फूल सरसों के।
बिरंगों में खिला बगिया,
चमन महका गुलाबों से।
कहीं नीली खिली पीली,
दिखे लाली बिखेरे है।
बहकता मन सवेरे ओस,
की बूँदें बिखेरे है॥
समा जाऊँ बहारों में,
गिरह ले फूल सारे जब।
नयन तारा बना रख ले,
रहूँगी मैं तुम्हारी अब॥
उमंगें मन करे घायल,
जमाना क्यों कहे पागल।
नहीं बचना जरा इससे,
रहूँ मैं डूब कर दलदल॥
पवन मचले उड़ा खुशबू,
तराना नभ भ्रमर गाये।
बुलाये कूक कोयल खग,
गगन में आँख जम जाये॥
तपिश में बह पहल करके,
उतर आये धरा पर तब।
नयन तारा बना रख ले,
रहूँगी मैं तुम्हारी अब॥
