गाने ऊपर मेरा गाना
गाने ऊपर मेरा गाना
मिसरा -बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ /रही हूँ
काफिया -अल
रदीफ़-लिख रही हूँ
122 122 122 122
तुम्हें मान प्यारा कमल लिख रही हूँ ।
बितायी पकड़ हाथ पल लिख रही हूँ ॥
भले फेर नजरें सिमट बैठ जाओ ।
बढ़ा दो कदम मैं पहल लिख रही हूँ ॥
कहे थे किसी रोज घर भी दिखाऊँ।
लिपट बाँह तेरे महल लिख रही हूँ ॥
कहाँ मय लगायी कभी हाथ भूले ।
सजा दो न ऐसे बदल लिख र
ही हूँ ॥
भरा अश्क आँखों जरा देख तड़पो ।
न रोको सनम आज हल लिख रही हूँ ॥
बता ख्वाब में क्या कभी भूल लाये ।
नहीं बोल पाये ग़ज़ल लिख रही हूँ ॥
खुला आसमां दूर सागर किनारे।
झगड़ फिर करूँ जो अमल लिख रही हूँ ॥
नए लोग कितने जमाने मिलेंगे।
करूँ बात कोई न कल लिख रही हूँ ॥
शहद घोल "ममता" लबों से पुकारे।
रहूँ छाँव तेरे वो तल लिख रही हूँ॥