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Mamta Pandey

Abstract

3  

Mamta Pandey

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गाने ऊपर मेरा गाना

गाने ऊपर मेरा गाना

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मिसरा -बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ /रही हूँ 

काफिया -अल 

रदीफ़-लिख रही हूँ 

122 122 122 122


तुम्हें मान प्यारा कमल लिख रही हूँ । 

बितायी पकड़ हाथ पल लिख रही हूँ ॥  


भले फेर नजरें सिमट बैठ जाओ । 

बढ़ा दो कदम मैं पहल लिख रही हूँ ॥ 


कहे थे किसी रोज घर भी दिखाऊँ। 

लिपट बाँह तेरे महल लिख रही हूँ ॥ 


कहाँ मय लगायी कभी हाथ भूले । 

सजा दो न ऐसे बदल लिख रही हूँ ॥ 


भरा अश्क आँखों जरा देख तड़पो । 

न रोको सनम आज हल लिख रही हूँ ॥ 


बता ख्वाब में क्या कभी भूल लाये । 

नहीं बोल पाये ग़ज़ल लिख रही हूँ ॥ 


खुला आसमां दूर सागर किनारे। 

झगड़ फिर करूँ जो अमल लिख रही हूँ ॥ 


नए लोग कितने जमाने मिलेंगे।  

करूँ बात कोई न कल लिख रही हूँ ॥ 


शहद घोल "ममता" लबों से पुकारे।  

रहूँ छाँव तेरे वो तल लिख रही हूँ॥  


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