मैं एक पक्षी
मैं एक पक्षी
मैं एक पंछी उडूँ गगन में, पंख मेरे हैं सोने दार
ये बहेलिया मुझे क्यूं मारे, मेरा भी है एक परिवार
तीर तेरे हैं बड़े नुकीले, हृदय को मेरे करते पार
जान मेरा नहीं तेरी खातिर, मैं भी तो हूं जीव परिवार
शरीर मेरा है बड़ा ही कोमल, सह नहीं सकते ऐसे हथियार
तू मेरा क्यू बना है कातिल, जा करले कुछ काम भला
मैं बंदा हूं कुदरत का, तू बख्श दे बस जान मेरा
न भूल आएगा वक्त तेरा भी, करेगा वो इंसाफ मेरा
मैं दुखियों की मारी एक पक्षी धरती पर रहने आयी हूं
कहे तुझसे नादान ये पक्षी, मैं तुझसे घबराई हूं।
