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sargam Bhatt

Abstract

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sargam Bhatt

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मैं डरती नहीं

मैं डरती नहीं

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"हां मैं डरती नहीं"

इन जंजीरों से मैं बंधती नहीं,

इन लकीरों पे मैं मरती नहीं।

मैं कोई अबला नहीं,

इन हैवानों से मैं डरती नहीं।।

"हां मैं डरती नहीं"


रास्ते बड़े कठिन होते हैं,

मंजिल बड़ी मुश्किल होती है।

किस्मत और नसीब क्या चीज है,

मैं इन सब पाखंडों में पड़ती नहीं।।

"हां मैं डरती नहीं"


कांटो पर चलकर जाती है,

मैं किस्मत खुद बनाती हूं।

यहां तो लोग नीचा दिखाने में लगे रहते हैं,

मैं ऐसे लोगों पर विश्वास करती नहीं।।

"हां मैं डरती नहीं"


कर्म करो फल मिल जाएगा,

यह नसीब जाने कहां ले जाएगा।

इंसानियत अभी भी जिंदा है,

मैं किसी के रास्ते का कांटा बनती नहीं।।

"हां मैं डरती नहीं"।



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