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Kriti Goswami

Romance

3  

Kriti Goswami

Romance

मैं चाहती हूं..

मैं चाहती हूं..

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मैं चाहती हूं तुम मुझे वैसे ही चुनो,जैसे चुनते हैं बचपन के उस खेल में बड़ी उंगली ,

वैसे ही समझने का प्रयास करो,जैसे किया था खुसरो की पहेलियों को पहली दफा सुनने पर,

वैसे ही याद रखो,जैसे याद रखी है उत्तीर्ण होने पर बचपन की पहली शाबाशी,

वैसे ही दोहराओ मन में,जैसे दोहराते हैं कोई कंटस्थ किया पाठ परीक्षा में

या जैसे दोहराते है,पहले प्रेम की कनखियों वाली बातचीत मन में,

देखो ऐसे,जैसे देखती है दुनिया शरद पूर्णिमा का चांद..

मै चाहती हूं तुम मुझे चुनो ऐसे,जैसे चुनते हैं बचपन के उस खेल में बड़ी उंगली!



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