Vishakha Gavhande

Inspirational

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Vishakha Gavhande

Inspirational

मैं अकेली काफी हूँ

मैं अकेली काफी हूँ

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इस भीड़ भाड़ सी दुनिया मे कुछ ऐसे लोग मिल जाते

ख्वाब दिखा के जन्नत के जहन्नुम से रुबरु कराते हैं। 

तारीफ करूं भोलेपन की उसकी  

या ऊँगली उठाऊं अपनी नदानीयत पर। 

तुम ही बताओ क्या करुं उस टाइम। 

जब अपना ही दिल उतर आए मनमानी पर। 

मुझे इस साल भी खुश रहना है

यानी के सब बढ़िया है यही कहना है 

पहले लगता था बहुत अकेली हूँ मैं। 

लेकिन अब लगता अकेली ही काफी हूँ मैं। 


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