माटी की माया
माटी की माया
माटी का शरीर एक दिन माटी मे मिल जायेगा,
मत कर तू इतना गरूर एक दिन तू चला जायेगा।
रिश्ते - नाते सब यही छूट जायेगे सुन रे मनुज ,
अकेला आया है तू अकेला ही चला जायेगा।
घर, जमीन, दौलत सब यही छूट जायेगी ,
खाली हाथ आया जग मे खाली हाथ जायेगा।
मोह माया के झाल में तूने जीवन ऐसे ही बीता दिया,
नेकी, ईमानदारी, सत्कर्म बस ये ही तेरे साथ जायेंगा।
माँ, भाई बहन, बच्चे सब यही छूट जायेगे,
संगी साथी नाम के तेरे ये जहाँन तूझे भूल जायेगा।
मखमल के बिस्तर ये सारे ऐशो आराम ,गाडी, बंगले,
प्राण पखेरू उडते ही सब तुझसे फिर दूर हो जायेगा।
मत कर अभिमान रे मानव इस माटी के पुतले पर,
क्या तेरा, क्या मेरा ,मत कर तू सब यही रह जायेगा।
तेरे कर्म ही तेरी पूंजी है जीवन भर की याद रखना,
माटी का शरीर माटी मे मिल तब राख हो जायेगा। ।