माता रानी आईं है
माता रानी आईं है
सिंह में सवार होकर
त्रिशूल हाथों में लाना
कर के सोलह श्रृंगार माँ
लाल चुनरी ओढ़ आना
लगा के केसरी टीका माथे पर
चंदन कुमकुम सी महक जाना
चलकर तू उस हिमालय से माँ
इस बार बस मुझ से मिलने आना
सजाया है मैंने दरबार तेरा
तू आ कर माँ बस विराज जाना
मैं लगाऊ पंचमेवा मिश्री भोग तुझे
तू चख कर मेरी लाज बचाना
तू बसी रहना मेरी आँखों में पल पल
और मुझे सदा अपनी चरणों से लगाना
नवरात्री की हर्दिक शुभकामनाएं
