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संजय असवाल "नूतन"

Abstract

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संजय असवाल "नूतन"

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मां

मां

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मां, शब्द नहीं संसार है

इस जीवन का आधार है,

सृष्टि सृजन पालनहार है 

ममता का समुंद्र है

ज्ञान का प्रकाश पुंज है,

मां तू नहीं तो ये जग है अधूरा

तेरे आशीष से होता

मेरा हर काम पूरा,

जब भी गिरुं मैं 

हाथ मेरा थाम लेती,

कठिन डगर पर संभल कर 

चलना मुझे तू सिखा देती,

गलतियों पे देती सीख 

मुझे इस जीवन की,

राह भटकने से

तू मुझे बचा लेती,

मां कभी तू डांट दे 

कभी हंसकर पुचकारे,

मेरे बहते आंसुओं को 

तू खुद में समा ले,

हर ग़म मेरा तू हंस के उठा ले

मेरी खुशियों में मुझे 

तू गले लगा ले,

तू खुद भूखी रह कर 

मां हमे खिलाती

जीवन की हर अच्छी बुरी 

सीख तू हमें सिखाती,

ढक लेती तू हमें अपने आंचल में 

ममता का मरहम जब तू लगाती,

मेरे जीवन की रौशनी है तू मां

अंधियारे जीवन की ज्योति है तू मां,

तपती धूप में 

बारिश की फुहार है

कड़क सर्दियों में गुनगुनी धूप है,

तेरे बिना सूना 

जीवन का ये उपवन,

उपवन की खिलती कलियों की 

तू बहार है,

मां तू रब है मेरा

तू सब कुछ है मेरा,

तुझसे बढ़ कर 

नही है कोई दूजा,

तू अस्तित्व है 

तू ही संसार है 

इस जीवन की तू प्राण वायु है,

नतमस्तक हूं मैं तेरे इन चरणों में 

यही मुक्ति द्वार 

यहीं उद्धार है.......!!




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