माँ
माँ
मेरी कमियों को वो हर किसी से बताती नहीं,
एक माँ ही है,जो कुछ जताती नहीं।
तिनका तिनका जोड़ कर वो घर बनाती है,
एक माँ ही है जो जीवन को खुश रंग बनाती है।
पाई पाई जोड़ कर वो घर चलाती है,
वो माँ है, जो अपने हिस्से की रोटी मुझे खिलाती है।
उसकी सूरत देख मैं निखर जाता हूँ,
माँ के चरणों को छू मैं सँवर जाता हूँ।
मैं सफर में होता हूँ तो, वो शिकन में होती है,
मेरी सलामती की खातिर माँ अपने अश्कों से।
तीनो भुवन धोती है।।(तीनो भुवन अर्थात त्रिदेव)
'एक माँ ही तो है, जो घर बनाती है'।