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Rishi Raj Singh

Inspirational

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Rishi Raj Singh

Inspirational

माँ

माँ

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घर की दहलीज के बाहर
अभी पहला कदम रखा ही था कि,
किसी के छींकने की आवाज आयी
पीछे से माँ ने टोका,
'दो मिनट रूक कर निकलना!'
दो मिनट बाद घर से बाहर निकला,
रास्ते में अंतर्मन ने सवाल किया-
यार-दोस्तों के बीच या जब कॉलेज में
यह सवाल उठता है कि,
कौन-कौन अंधविश्वास को नहीं मानता है?
तब तो चहरे पे दिखावटी नकाब पहन
झट से हाथ खड़ा कर देते हो,
अौर फिर खुद को,
'एथीइस्ट' और 'एगनोस्टिक' नामक फैशनेबल
श्रेणी का 'कैंडिडेट' बताते हो
आज माँ ने एक बार क्या टोका,
सारे मार्डन विचारों पे ताला लग गया
अब भला मन को कौन समझाए कि,
यूँ तो मैं अंधविश्वास को नहीं मानता,
पर आखिरकार अपनी माँ को तो मानता हूँ
और इस जहाँ में माँ से बढ़कर कुछ और कहाँ


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