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Versha Gupta

Abstract

1.8  

Versha Gupta

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माँ

माँ

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माँ तू कितनी प्यारी, याद आती तेरी लोरी

तेरी हाँथों की थपकी, मुझको दिलाती नींद प्यारी।


मेरे रोने पर, माँ तेरा भाग के आना

याद आता हैं, तेरे हाथ का खाना।


मैं छुपती थी, इस दुनिया से बार-बार

याद आता हैं, तेरा ममता का आँचल।


तुझसे अटपटे सवाल पूछना और तेरा हँसना

ऐसा लगता है, जैसा था ये एक सपना।


माँ तू जन्नत का फूल है, प्यार करना तेरा उसूल है

माँ को नाराज करना, इंसान तेरी सबसे बड़ी भूल है।


दुनिया का मोह फिजूल है, माँ तेरी हर दुआ कुबूल है

माँ के कदमों की मिट्टी, जन्नत की धूल हैं।


जब डॉक्टर जवाब दे देता, तू नजर उतारती है

तू नहीं हारती, यहीं तेरी खासियत है।


ईश्वर ने बनायी, एक मूरत प्यारी

जिसे कहती माँ, दुनिया सारी।


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