Vijay Kumar parashar "साखी"
Abstract
माँ इस नवरात्रि पर
कोरोना का कर दे संहार
हर भक्त तुझे माँ अपने
हृदय से रहा अब पुकार,
अब हम भूर्ण हत्या नही करेंगे
बेजुबान को क़त्ल नही करेंगे
मांगते है माफी गुनाहों की,
रहम कर भी दे
ओ ममतामयी मां,
हम इंसानो का कर दे,तू उद्धार
"गोवंश पर अत्...
"चमत्कार"
"दौर मुफ़लिसी ...
"दुआ-बद्दुआ,
"आंटा-सांटा"
"सिंदूर"
"बरसात"
"शांत और स्थि...
"दोगले इंसान"
थी जो फरमाइशें तेरी, पूरी करता गया तुझको पल पल, मैं अपना बनाता गया थी जो फरमाइशें तेरी, पूरी करता गया तुझको पल पल, मैं अपना बनाता गया
मतलब के सब यार, दग़ाबाज़ हमारे यार, सबसे अच्छा लगता, सदा अपना घर यार। मतलब के सब यार, दग़ाबाज़ हमारे यार, सबसे अच्छा लगता, सदा अपना घर यार।
होली का रंग चढ़ा ऐसा यादों का गुलाल उड़ने लगा। होली का रंग चढ़ा ऐसा यादों का गुलाल उड़ने लगा।
सूखे दरिया कितने भी बड़े हो घरौंदों की कमी खलती है वहाँ सूखे दरिया कितने भी बड़े हो घरौंदों की कमी खलती है वहाँ
सुनो खामोश रहकर क्या दिवारें बात करतीं हैं। सुनो खामोश रहकर क्या दिवारें बात करतीं हैं।
परीक्षाएं देते देते सीता सी तेरी गोद में सो जाती है बेटियां। परीक्षाएं देते देते सीता सी तेरी गोद में सो जाती है बेटियां।
दूसरे का नजरों से दूर पर धड़कन एक रही सीमा पर सैनिक जूझता सहता झेलता रहा दूसरे का नजरों से दूर पर धड़कन एक रही सीमा पर सैनिक जूझता सहता झेलता रहा
तब तक हम बेपरवाह ही रहते हैं, हर समस्या का समाधान पिता में ही दिखते हैं। तब तक हम बेपरवाह ही रहते हैं, हर समस्या का समाधान पिता में ही दिखते हैं।
क्यों बांधकर रखा गया है उसको इन सीमाओं में क्यों बांधकर रखा गया है उसको इन सीमाओं में
नभ में गुंजान होता है, विजय महान होता है, वीरों की वीरता का भी, यहां सम्मान होता है। नभ में गुंजान होता है, विजय महान होता है, वीरों की वीरता का भी, यहां सम्मान ह...
यूं ही मुझमें बैठे बैठे गुम नहीं हो सकते शुक्र मनाओ मेरी तरह तुम नहीं हो सकते। यूं ही मुझमें बैठे बैठे गुम नहीं हो सकते शुक्र मनाओ मेरी तरह तुम नहीं हो सकते...
विधाता, जब पुरुष होता है- युद्ध करता है! विधाता, जब पुरुष होता है- युद्ध करता है!
हर पीढ़ी है ख़ास- हर पीढ़ी ख़ूबसूरत सामान्यीकरण है अन्याय हर पीढ़ी के साथ ! हर पीढ़ी है ख़ास- हर पीढ़ी ख़ूबसूरत सामान्यीकरण है अन्याय हर पीढ़ी के साथ !
बूँद से - समुंद तक तुम- इतना फैले... कि सिमट नहीं पाए। बूँद से - समुंद तक तुम- इतना फैले... कि सिमट नहीं पाए।
किसी का घर सजाते ये तेरे खुरदरे हाथ। किसी का घर सजाते ये तेरे खुरदरे हाथ।
कल ये दौर भी हम पर आएगा आज जो करोगे वो कल तुम पर ही बरस जाएगा कल ये दौर भी हम पर आएगा आज जो करोगे वो कल तुम पर ही बरस जाएगा
हाँ, मेरी दुनिया, मेरी अच्छाई के बल चलती है। हाँ, मेरी दुनिया, मेरी अच्छाई के बल चलती है।
देखा लाश से लिपटे किसी को कहीं कफन बिना लाश देखी। देखा लाश से लिपटे किसी को कहीं कफन बिना लाश देखी।
गाँठ में ग़रीबी है, गाँठ में अमीरी है, जीवन है, मृत्यु है मन की कामना है। गाँठ में ग़रीबी है, गाँठ में अमीरी है, जीवन है, मृत्यु है मन की कामना है...
तू काल भैरव तू अघोरेश्वर, तू जटाधारी शिवा नागेश्वर। तू काल भैरव तू अघोरेश्वर, तू जटाधारी शिवा नागेश्वर।