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अनूप सिंह चौहान ( बब्बन )

Abstract

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अनूप सिंह चौहान ( बब्बन )

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माँ का ये एक रूप था

माँ का ये एक रूप था

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दुर्गा, काली, खप्पर वाली,

माँ का ये एक रूप था ।


कभी थी अबला कभी सबला,

माँ का ये एक रूप था ।


कभी शहद थी कभी नीम थी,

माँ का ये एक रूप था ।


कभी वो जल थी कभी थी ज्वाला, 

माँ का ये एक रूप था ।


कभी थी सेवक कभी थी स्वामी, 

माँ का ये एक रूप था ।


कभी नयी थी कभी पुरानी, 

माँ का ये एक रूप था ।


कभी थी बच्ची कभी थी अम्मा, 

माँ का ये एक रूप था ।


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